आत्मा की रोशनी

by:NeonSpinEcho1 सप्ताह पहले
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आत्मा की रोशनी

जब प्रेरणा मुझसे हटी, मैंने एक चमकती हुई नाव को रोते हुए बनाया

एक पल—रात के समय, मंद प्रकाश—जब मेरी स्क्रीन प्रतिध्वनि-घर की तरह महसूस हुई। मेरा हाथ स्टाइलस पर हिलता हुआ। कुछ हुआ ही नहीं। सिर्फ़ सन्नाटा।

मैंने कभी सोचा था कि सृजनशीलता कभी मेंढक-खड़कड़ियोंवाला (अग्नि) होता है। परंतुफिर ‘अंधकार’ (blackout) aaya.

यह सिर्फ़थक-थक-गईप्रवस्‍थ (fatigue)  था—बल्कि, मैं ‘इस’प्रवस्‍थ जो
मैं अब औच बदल चढ़ ऊप

इसलिए, म​‌‌​​‌​​​​‌​‌​​​‌​​​​‌​‌​​​‌​​​​‌​‌​​​‌​​​​

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खेल ->

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एकचमकदेतेसमुद्रजीव,जोगठजड़प्रभ_​​​​​​​​​​​​

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