आत्मा की रोशनी
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जब प्रेरणा मुझसे हटी, मैंने एक चमकती हुई नाव को रोते हुए बनाया
एक पल—रात के समय, मंद प्रकाश—जब मेरी स्क्रीन प्रतिध्वनि-घर की तरह महसूस हुई। मेरा हाथ स्टाइलस पर हिलता हुआ। कुछ हुआ ही नहीं। सिर्फ़ सन्नाटा।
मैंने कभी सोचा था कि सृजनशीलता कभी मेंढक-खड़कड़ियोंवाला (अग्नि) होता है। परंतुफिर ‘अंधकार’ (blackout) aaya.
यह सिर्फ़थक-थक-गईप्रवस्थ (fatigue) था—बल्कि, मैं ‘इस’प्रवस्थ जो
मैं अब औच बदल चढ़ ऊप
इसलिए, म
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खेल ->
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NeonSpinEcho
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