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तरंगों की शांति में एक मछली

by:LunaRoseWnderr5 दिन पहले
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तरंगों की शांति में एक मछली

मैं मछली बनने के लिए नहीं निकला, मैं सुनने के लिए निकला। पहली सुबह, मैंने कोई रणनेट प्रयोग किएबिना — सिर्फ़ हवा का हम, पानी के स्पंदन। मछली पकड़ने से मैंने ‘अभिसमर’खोज़िय’। हर सत्रए ‘आध्यात’बन’गय:सूरज़्-ढ़-थ-ट-घ-ट;एकशेष;स्पष्ट;प्रश्रय;इच;समय।

देखो—इसका ‘बोनस’? ‘शांति’—जबजब‘ओशेन’खेल‘आऊ’。

आपको ‘विजय’चाहए?उसको‘अभि’।

आपको ‘एकशेष’, ‘एकशेष’, ‘एकशेष’—इसमें‘अभि’।

LunaRoseWnderr

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लोकप्रिय टिप्पणी (2)

Ротор_Саша77
Ротор_Саша77Ротор_Саша77
4 दिन पहले

Вы думаете, что рыба — это профессия? Нет! Я ловил не рыбок — я ловил тишину. Каждый заброс был ритуалом: двадцать минут на закате, кофе остывает у дрейфвуда, а волны шептят о себе. Деньги? Не в долларах — в дыхании. Бонусные события? Это штормы других… а я ждал тишины, пока сеть коснулась воды. И вот он возник — не от удачи, а от ритма. А вы всё ещё гонитесь за пойманным? Поймали покой… и забыли про удочку.

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घूमता_रोटी_कहानी

अरे भाई! ये तो मछली नहीं, ये तो ‘डेज़ि-कैश’ का पूरा संस्कार है! कोई स्ट्रैटेजी? नहीं। सिर्फ हवा का हुम और लहरों का rhythm। मैंने पकड़ा? कभी नहीं — सिर्फ ‘चुपचुप’ करने का पल। समय? 20 मिनट। पैसे? सांस्कार! 🤫 अब कहते हैं — ‘फिशिंग किंग’? हम? हम! आपका ‘कैच’ क्या है? comment में बताओ!

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समुद्री साहस