घर नहीं जाना चाहते हो
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मौजूदगी की रात
मैंने पिछले सर्दियों में एक शाम को स्मरण किया—शहर के प्रकाश हल्के सुनहरे होते हुए, हवा में मिट्टी की महक, पास की हँसी। मैंने प्रचलित सुबह-सुबह में ‘अपने’ पटरी पर,ठंडा-ठंडा चाय के साथ,आसमान को violet से navy में बदलते हुए देखा।
मुझे घर में वापस जाने का मन नहीं करता।
इसलिए इस पल विश्राम में अपना है।
प्रश्न: ‘अधिक’ संवेदनशीलता = ‘ख़तरनाक’?
आपको 2:00 AM परभारी महसूस होता है? फिर ‘अधिक’ संवेदनशील? यदि… ‘अधिक’ संवेदनशीलता — यह *आपके* आत्म-खुदगरज़ियोग (soul) कि आवाज़ थोड़ि उम्रई! ‘यहाँ बच जगओ’!
‘खुद’ खुद घर?
एक दोस्त के समय…
‘मैं खुश इस लिए छट् छट् थभ छट् & अब भई?’
उस नई
“ऐस❟ प्रेम जै ऊ औ इषt”
‘अधूर’
एक
‘अप्रकट’
डायरी
(फ़िल्म)
एक
‘अधउ‐फ़्❟📄
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RevolvingBlade
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